सेब सीजन के दौरान प्रदेश की मंडियों में डिफाल्टर आढ़तियों के नाम पते प्रदर्शित किए जाएंगे। प्रदेश सरकार के आदेशों पर कृषि विपणन बोर्ड ने इसे लेकर मंडी समितियों को निर्देश जारी कर दिए हैं। बागवानों को आढ़तियों की ठगी से बचाने के लिए यह कवायद शुरू की गई है। इतना ही नहीं डिफाल्टर आढ़तियों के लाइसेंस रिन्यू करने पर भी रोक लगा दी गई है। बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने आढ़तियों की मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए विपणन बोर्ड को कड़ी व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं।
बागवानों से ठगी करने वाले आढ़तियों के खिलाफ इस सेब सीजन में कड़ी कार्रवाई होगी। हर साल आढ़ती बागवानों के करोड़ों रुपये डकार जाते हैं। अपनी ही फसल का पैसा लेने के लिए बागवानों को आढ़तियों के चक्कर काटने पड़ते हैं। सेब सीजन के दौरान बागवान ठगी करने वाले आढ़तियों के बहकावे में न आए इसके लिए मंडियों में इलेक्ट्रॉनिक डिसप्ले बोर्ड लगाकर डिफाल्टर आढ़तियों के नाम प्रदर्शित किए जाएंगे।
सभी मंडियों में नोटिस बोर्ड, होर्डिंग और बैनर लगा कर भी डिफाल्टर आढ़तियों के नाम सार्वजनिक करने का फैसला लिया गया है। कृषि विपणन बोर्ड ने मार्केट फीस न चुकाने वाले आढ़तियों को भी डिफाल्टर की श्रेणी में डाल कर मंडियों में इनके नाम सार्वजनिक करने का निर्णय लिया है।
मंडियों में प्रदर्शित होंगे डिफाल्टर आढ़तियों के नाम
सरकार के आदेशों पर डिफाल्टर आढ़तियों के नाम मंडियों में प्रदर्शित करने का निर्णय लिया गया है। मंडियों में इलेक्ट्रॉनिक डिसप्ले बोर्ड लगा कर नाम प्रदर्शित होंगे। नोटिस बोर्ड पर भी डिफाल्टर आढ़तियों के नाम प्रदर्शित किए जाएंगे। – देवराज कश्यप, सचिव, कृषि उपज विपणन समिति शिमला एवं किन्नौर।
हेल्प डेस्क पर भी शिकायत की सुविधा
बागवान आढ़तियों की शिकायत मंडियों में स्थापित हेल्प डेस्क पर भी कर सकेंगे। हेल्प डेस्क पर बैठे कर्मचारी और अधिकारी शिकायत मिलते ही इसकी सूचना मंडी समिति के सचिव, विपणन बोर्ड के प्रबंध निदेशक और संबंधित उपमंडल के एसडीएम और उपायुक्त को करेंगे। फसल के भुगतान से संबंधित शिकायत तुरंत एसआईटी को भेजी जाएगी।
जिस दिन फसल बिके उसी दिन हो भुगतान : सोहन
सेब उत्पादक संघ के प्रदेशाध्यक्ष सोहन सिंह ठाकुर का कहना है कि एपीएमसी एक्ट में जिस दिन फसल बिकती है, उसी दिन पूरा भुगतान अनिवार्य है, बावजूद इसके आढ़ती मनमानी करते हैं। आढ़ती न तो बागवानों को फसल के पैसे का भुगतान करते हैं न ही सरकार को मार्केट फीस चुकाते हैं। इनकी मनमानी पर अंकुश लगाना जरूरी है। विपणन बोर्ड को डिफाल्टर आढ़तियों के नाम अखबारों के माध्यम से भी सार्वजनिक करने चाहिए।